अमित सिंघल : कांग्रेस के मैनीफेस्टो में “सन्नाटे का शोर” बहुत कुछ कह गया

कांग्रेस के मैनीफेस्टो में “सन्नाटे का शोर” बहुत कुछ कह गया।
मैनीफेस्टो ने प्रधानमंत्री मोदी और NDA सरकार को “भ्रष्टाचार मुक्त” माना।
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कोंग्रेसी मैनीफेस्टो को पढ़ने के बाद यह निष्कर्ष निकला कि यह मैनीफेस्टो नुकसान को सीमित करने की दृष्टि से लिखा गया है, न कि सत्ता का लाभ प्राप्त करने के लिए। एक तरह से कोंग्रेसियों ने हार मान ली है और वे किसी भी तरह से पिछले चुनाव में मिली 50-52 सीटों में से एक भी सीट का नुकसान नहीं करना चाहते है।

मुझे आशा थी कि कांग्रेस का मैनीफेस्टो प्रधानमंत्री मोदी और NDA सरकार को भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने और उसमे लिप्त रहने से भरा होगा तथा कोंग्रेसी यह हुंकार भरेंगे कि कैसे वे भ्रष्टाचार समाप्त कर देंगे। मैनीफेस्टो यह दांवा करेगा कि मोदी सरकार भ्रष्ट है, क्योकि राहुल लगातार सरकार पे भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे है।

मैनीफेस्टो में रफाल डील, चुनावी बांड (जिसे स्वयं कांग्रेस ने भी भुनाया) और घोटालेबाजों के देश छोड़कर भाग जाने की “परिस्थितियों” की जांच का वायदा तो किया गया है (ध्यान दीजिये कि कांग्रेस ने घोटालो की जांच का वादा नहीं किया है क्योकि सारे घोटाले सोनिया सरकार के समय हुए थे), लेकिन किसी घोटाले का आरोप नहीं लगाया है। एक तरह से कांग्रेस ने यह स्वीकार किया कि प्रधानमंत्री मोदी और NDA सरकार ने एक स्वच्छ और साफ़-सुथरा प्रशासन दिया।

फिर, मैंने देखना शुरू किया कि भारत की विकास दर के बारे में क्या लिखा है। इसमें मैनीफेस्टो आंकड़ों की हेरा-फेरी कर गया है। कोंग्रेसी क्लेम करते है कि वर्ष 2013-14 में जीडीपी 100 लाख करोड़ थी जो वर्ष 2023-24 में केवल 173 लाख करोड़ हो जाएगी। अर्थात, अर्थव्यवस्था डबल नहीं हुई है।

हेरा-फेरी यह है कि कोंग्रेसियों ने वर्ष 2013-14 की जीडीपी उस समय व्याप्त दामों (current prices) के आधार पर 100 लाख करोड़ लिखी है, जबकि 2023-24 की जीडीपी को वर्ष 2011-12 में व्याप्त दामों (in real terms) के आधार पर 173 लाख करोड़ बताया है।

सरकारी प्रेस रिलीज़ बतलाती है कि वर्ष 2023-24 की जीडीपी (current prices) 297 लाख करोड़ है। वहीं वर्ष 2013-14 की जीडीपी (2004-05 के दामों के आधार पर in real terms) केवल 57.42 लाख करोड़ थी।

आप चाहे तो करंट या फिर रियल टर्म्स के आधार पर जीडीपी की तुलना कर ले, मोदी सरकार में पिछले दस वर्षो में जीडीपी तीन गुना बढ़ा दी है।

फिर कोंग्रेसी क्लेम करते है कि अगले दस वर्षो में वे जीडीपी को दोगुना कर देंगे। यहाँ मोदी सरकार जीडीपी को तीन गुना कर चुकी है, वे दोगुने पर ही अटके है।

रुचिकर यह है कि कोंग्रेसी कहते है कि वे निजी क्षेत्र में हर तरह के उद्यम – बड़े (बड़े पर ध्यान दीजिए), मध्यम, छोटे और सूक्ष्म – को नौकरियां का सृजन करने और उत्पादन करने को समर्थन देंगे। दूसरी ओर, प्रतिदिन अम्बे-अडानी को गरियाते है।

फिर, मैनीफेस्टो महंगाई बढ़ने का आरोप लगाता है, लेकिन यह नहीं बतलाता कि इस समय मंहगाई दर क्या है; वर्ष 2013-14 में क्या थी? और न ही यह बतलाता है कि सत्ता में आकर वे मंहगाई दर को कितनी कम कर देंगे।

आतंकवाद के बारे में भी कोंग्रेसियों ने यह रोना नहीं रोया कि भारत में लोग आतंकी हमले में मर रहे है, भारतीय अपने-आप को असुरक्षित समझ रहे है। मैनीफेस्टो में “टैक्स टेररिज्म” के लिए प्रधानमंत्री मोदी को दोषी ठहराया गया है लेकिन सच तो यही है कि टैक्स में छूट 7 लाख रुपये तक मोदी सरकार ने किया है।

कांग्रेस ने मैनीफेस्टो में यह भी नहीं बताया कि कैसे वे न्यायलय, चुनाव आयोग, सीबीआई, विजिलेंस, CAG की स्वायत्तता बनाएं रखेंगे। क्या वे सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को सीबीआई निदेशक की नियुक्ति और बर्खास्तगी वाली समिति से हटाकर स्वायत्तता सुनिश्चित करेंगे? उलटे, मैनीफेस्टो लिखता है कि वे राष्ट्रीय न्यायिक आयोग के द्वारा न्यायाधीशों की नियुक्ति करेंगे।

मैनीफेस्टो में भारत के टुकड़े-टुकड़े का नारा लगाने वाले गैंग और नक्सलवादियों से कड़ाई से निपटने का भी आश्वासन नहीं दिया, जैसे कि यह समस्या अस्तित्व में ही नहीं है।

अनुच्छेद 370 पे भी मैनीफेस्टो में सन्नाटा है। कम से कम कोंग्रेसी 370 हटाने का आश्वासन तो दे ही सकते थे।

अंत में, पूरे मैनीफेस्टो में सेकुलरिज्म या धर्मनिरपेक्षता शब्द का प्रयोग एक बार भी नहीं किया गया है। गौ वंश के भक्षण के अधिकार की भी बात नहीं की है. और तो और, यह भी आश्वासन नहीं दिया कि ढांचा वही बनाएंगे।

कही ऐसा तो नहीं कि कांग्रेस भी अब कम्युनल या सांप्रदायिक पार्टी हो गयी है।

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