सुरेंद्र किशोर : प्राथमिक शिक्षा केंद्र सरकार के जिम्मे हो..

संदर्भ-बिहार के आई.ए.एस.अफसर
के.के.पाठक का पदत्याग
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1992 में बाबरी ढांचा गिराने से उत्पन्न ‘‘राम मंदिर समर्थक
भावना’’ पर 1993 चुनाव में हावी हो गयी थी ‘‘परीक्षा में
कदाचार समर्थक भावना’’ ।
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सन 1992 में उत्तर प्रदेश की कल्याण सिंह सरकार ने एक सख्त नकल
विरोधी कानून बनाया।
मुलायम सिंह सरकार ने 1994 में उस कानून को रद कर दिया।
दरअसल यू.पी.बोर्ड की परीक्षा में कदाचार पूरी तरह रोक देने के कारण कल्याण सिंह की सरकार 1993 के चुनाव में सत्ता से बाहर हो गई।
मुलायम सिंह यादव मुख्य मंत्री बने।
1992 में बाबरी ढांचा गिराने के कारण उत्पन्न भावना का चुनावी लाभ तक भाजपा को 1993 में नहीं मिल सका था।
क्योंकि एक भावना पर दूसरी भावना बुरी तरह हावी हो गयी।
यानी, आसान नहीं है कि इस देश की शिक्षा को गर्त जाने से रोकने का काम।


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मुलायम सिंह यादव तब कदाचारी विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों के ‘हीरो’ बन गए थे।
यानी,मुझे यह लगने लगा है कि चुनाव लड़ने वाली कोई भी सरकार आम या खास परीक्षाओं में नकल नहीं रोक सकती।
उसके लिए शायद किसी ‘‘कल्याणकारी तानाशाह’’ शासक की जरूरत पड़ेगी।
हां,फिलहाल प्रयोग के तौर पर एक उपाय हो सकता है।
सरकार प्राथमिक शिक्षा को भारतीय सेना के हवाले कर दे।
यानी प्राथमिक शिक्षा केंद्र सरकार के जिम्मे हो।
उसके लिए चार साल पूरा करके घर लौटे अग्निवीरों की सेवा ली जाए।
मेजर स्तर के अफसर जिले में प्राथमिक शिक्षा के प्रभारी हों।

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