योगेश किसले : फैशन

इस ठंड में कम कपड़ो में देखकर करुणा जागी।मैंने उसे एक कम्बल देने की कोशिश की । वह मुड़कर बोली – भाग मुए , पार्टी में जा रही हूँ ।
उधर चार दिन से अपना ड्राइवर मुह फुलाये हुए है । उसे स्टाइल वाली फ़टी जीन्स दिया हूँ ।नए फैशन से महरूम कहता फिर रहा है कि अब मेरे ये दिन आ गए है ?
एक समय था कि बड़े गर्व से हम बेल बॉटम सिलाया करते थे । जब दर्जी पूछता था – मोहरी कितना दे दें ? तब लगता था कि वह हमारे फैशन बोध को चुनौती दे रहा है । धीरे से कह देता – 42 ठीक रहेगा । आज हालत यह है कि 38 की कमर रहते हुए 36 की जीन्स खरीद रहा हूँ ताकि अगला मोटू न कह दे । जब बेलबॉटम सिलकर आता था और ठीक छाती के नीचे चार इंच चौड़ा बेल्ट लगाकर लहराते बेलबॉटम का रुतबा देखता था तो लगता था कि मिलान और पेरिस का फैशन उसी बेल में समाहित हो गए हों । मजाल है कि बेलबॉटम पहने खड़े हों तो वहां नीचे की जमीन दिख जाए । कभी कभी तो बेलबॉटम के शौकीन भाई लोग बेल के नीचे चेन या जिप भी चिपकवा लेते थे ताकि जमीन में घसीटाने के बाद बेल फट न जाये । आज अगर किसी के पास वह बेलबॉटम जिंदा होगा तो उसे पेटीकोट के रूप में प्रयोग किया जा सकता है ।
छापेदार शर्ट आज गोआ के पहनावे की पहचान है। लेकिन कभी छापेदार शर्ट फैशन का कीर्तिमान होता था । छह इंच लम्बा कॉलर , कमर के पास संकरी औऱ नीचे चौड़े लहराते शर्ट आपके फैशनपरस्त होने का प्रमाण था । अक्सर ऐसे शर्ट पहनकर आप बाइक की सवारी करते होंगे तो 6 इंच लम्बा कॉलर हवा के थपेड़ों के साथ आपके कान सुन्न कर देते थे । लेकिन फैशन का आलम कि जिस तरह स्लीवलेस और लो नेक ब्लाउज या बिना शाल के अर्धनग्न महिलाओं को कड़कड़ाती ठंड कुछ बिगाड़ नही पाती उसी तरह कॉलर के थपेड़े भी लड़कों का कुछ उखाड़ नही पाती थी ।
सरदार बूट हाउस और स्मार्ट बूट हाउस के जूते पुरुष फैशन के आखरी आयाम दिया करते थे । जूते या सैंडल के सोल की मोटाई छोटा मोटा एकतल्ला मकान ही समझिए । सैंडल के सोल की न्यूनतम मोटाई चार इंच और अधिकतम छः इंच आपको फैशन के शिखर पर होने का अहसास कराती थी । दुकान के मालिक से जब पूछता कि कितने का है यह सैंडल ? वह बड़े शान से कहता – पूरे पचास रुपये ।जूते की खट खट आधे किलोमीटर तक गुंजायमान नही हुआ तो क्या फैशन ?
हिप्पी बाल फैशन का अहम आधार था । पुरुष के बाल उसके आधे चेहरे को ढक न ले तो वह फूहड़ फैशन । लड़के आज अपने बालों को लेकर इतने जागरूक औऱ उत्साहित हैं कि छह फीट की गोलाई में हेयर स्टाइल के तमाम सपने साकार हो रहे हैं ।
कभी बचपन मे पढ़ा था कि कुपोषण के शिकार बच्चियों के बाल पीले हो जाते हैं । आज महिलाओं के चमकते पीले बाल को देखकर आप अफसोस नही सराहना करते हैं कि वह खाते पीते घर की है वरना तो बाल काले हो जाते ।

अभी लगन का मौसम है । अगर फैशन को लेकर अपडेट होना है तो किसी शादी की पार्टी की शरण लें । वहां पुरुष और महिलाओं के लेटेस्ट फैशन का ज्ञान बह रहा होता है । कभी माघ और पूस में लोग शादियां नही करते थे कि फैशन की चाहत चादर , शाल और स्वीटर में दफन न हो जाये लेकिन प्रकृति की चुनौती को देश की महिलाओं ने सामना किया है । ठंड के गुरुर को तो ऐसे ध्वस्त किया है कि अंटार्कटिका भी शरमा जाए ।
बहरहाल फैशन के मामले में सीनियर सिटीजन हो गए लोग स्लीवलेस , पीठदर्शी , नाभिदर्शना , गहरे गले के टॉप्स , स्वर्णरंजित केशधारी लड़कियों और महिलाओं को देखकर गहरी सांसें जरूर लेते होंगे और सोचते होंगे कि हमारे समय गोल गले और पूरी बाँह के ब्लाउज और लंबी चोटी जैसे फैशन क्यों थे ?

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