बालको सीईओ राजेश कुमार हो रहें हैं षड्यंत्र के शिकार..??

वर्ष 2023 में फरवरी के दूसरे सप्ताह में  बालको सीईओ राजेश कुमार द्वारा कार्यभार ग्रहण करने के साथ ही मात्र एक माह के भीतर मार्च में हाइकोर्ट के फैसले के 10 वर्षों के बाद जब सारे प्रकरण का पटाक्षेप हो चुका था तब शांतिनगर कूलिंग टॉवर क्षेत्रान्तर्गत निवासियों का एकाएक आंदोलन की राह पकड़ना क्या किसी षड्यंत्र की ओर संकेत करता है!!


आंदोलन के सहारे कुछ लोग जिंदा रहते हैं। आंदोलनकारियों को अगर समझाबुझाकर बैठा दिया गया तो छवि निखर जाती है। आंदोलन एक प्रकार से मरुभूमि में ऊँट की सवारी का काम करता है । इस पर चढ़कर छवि निखारने करने का आनंद ही कुछ और है। कुल मिलाकर “हींग लगे न फिटकरी और रंग भी चोखा आवे” वाली कहावत चरितार्थ होती है। बालको में नवपदस्थ सीईओ राजेश कुमार के आने के साथ ही बरसों पुराने दबे हुए प्रकरणों को आंदोलनों के माध्यम से हवा देकर क्या कुछ लोग अपनी छवि गढ़ने का काम कर रहे हैं !!


नए सीओ के आने के बाद एकाएक बालकों में आंदोलन की गतिविधियां अचानक क्यों तेज होने लगी है सूत्र बताते हैं इसके पीछे बालकों के उन अधिकारियों का हाथ हो सकता है जिनके ऊपर बालकों के आसपास की सुरक्षा व्यवस्था एवं प्रशासनिक व्यवस्था की जिम्मेदारी है।


अभी हाल ही में आखिरकार एकाएक शांति नगर कूलिंग टावर का विषय कैसे ज्वलंत हो गया ? 2013 से हाई कोर्ट के निर्णय के बाद से या प्रकरण बिल्कुल शांत था अब एकाएक लगभग 10 वर्षों के बाद पुनर्वास, नौकरी की मांग को लेकर धरना देना समझ से परे है।


कहीं यह सब घटनाक्रम नए सीईओ के समक्ष चुनौती खड़ी करने का प्रयास तो नहीं है !! अगर ऐसा है तो बालको विकास की राह पर कैसे अग्रसर होगा, जब अपने ही लोग चुनौतियों का चक्रव्यूह रचने का प्रयास करेंगे !

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सामने अगर चुनौतियां हो तो उनसे टकराना बहुत ही सरल होता है किंतु जब अपने ही लोग रास्ते में चुनौतियां जानबूझकर खड़ी करें तो कैसे निपटा जाए? इन आंदोलनों की आड़ में कही ऐसा तो नहीं है कि तो इमेज बनाने के लिए अपने बचाव में अपने ही लोगों के द्वारा कहीं ऐसा घटनाक्रम तो रच नहीं जा रहा है?


सीईओ राजेश कुमार अनुभवी हैं और प्रबंधनीय राजनीति के दांव-पेंचों को अच्छे से समझते हैं और सारे घटनाक्रम पर उनकी भी दृष्टि लगी हुई थी। संभवतः सारे प्रकरण को समझकर आगे वे प्रयास करेंगे कि इस प्रकार की कोई भी बाधा भविष्य में उत्पन्न न होने पाए।

ताजा घटनाक्रम शांतिनगर क्षेत्र के निवासियों का है, जिन्होंने प्रदूषण सहित अन्य समस्याओं से त्रस्त होकर धरना आंदोलन किया। आंदोलनरत लोगों को बालको प्रबंधन से शिकायत थी कि लगभग 10 वर्ष पूर्व बालको प्रबंधन के द्वारा कूलिंग टॉवर का निर्माण कार्य किया गया था और कुछ लोगों को अभी तक बालको प्रबंधन के द्वारा किये गए समझौते का लाभ नहीं मिल सका है। जबकि देखा जाए तो 100 से अधिक परिवार जो कूलिंग टॉवर से लगे क्षेत्र में निवासरत हैं और वे बुरी तरह से प्रभावित हैं। वास्तव में उस क्षेत्र में अनेक समस्याएं हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि कुछ लोगों को अब तक रोजगार और पुनर्वास की सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाई है। रोजगार, पुनर्वास की बात उचित भी है।


लगातार चले इस आंदोलन से बालको के भीतर भारी वाहनों का प्रवेश पूरी तरह से बंद हो गया था, राख परिवहन भी प्रभावित हुआ था। इससे सड़क के दोनों ओर वाहनों की लंबी लाइन लंबे समय तक लगी रही थी। इसके बाद हुए समझौते के साथ ही आंदोलन समाप्त भी हो गया था।


अपनी समस्याओं के निराकरण को लेकर लोकतंत्र में धरना, प्रदर्शन किया जाना उचित है लेकिन यक्ष प्रश्न यहां पर यही उठता है कि वर्ष 2013 में हाई कोर्ट के निर्णय के बाद लगभग 10 वर्षों के बाद ही नए सीईओ राजेश कुमार के पदभार संभालने के साथ ही क्यों यह बात उठी??


नवपदस्थ सीईओ राजेश कुमार को इस घटनाक्रम की तह तक जाकर इसकी जांच करनी चाहिए ताकि आगे भविष्य में इस प्रकार की पुनरावृत्ति दोबारा न हो।

कागजों पर काम दिखाकर हो रहे फर्जीवाड़े को रोकना बड़ी चुनौती है श्री कुमार के लिए
क्या वास्तव में काम हो रहे हैं या सिर्फ कागजों पर ही काम दिखाया जा रहा है..??

बालको प्रबंधन के द्वारा विगत दिनों जिस प्रकार से पूरी तरह से फर्जीवाड़ा करते हुए एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया गया था कि कंपनी के कौशल विकास केंद्र ‘वेदांत स्किल स्कूल’ को जिसके द्वारा छत्तीसगढ़ के लगभग 10,000 युवाओं को प्रशिक्षित किए जाने के कारण भारत सरकार के अंतर्गत स्मार्ट सेंटर द्वारा 5-स्टार रेटिंग से सम्मानित किया गया है और आश्चर्यजनक बात यह थी कि स्टार रेटिंग के प्रेस नोट में प्रशिक्षकों, प्रशिक्षुओं की 2022 को जारी पुरानी तस्वीरें ही प्रयोग में लाई गई थी। इसका अर्थ यह है कि 2022 के पूर्व के जो प्रशिक्षु थे, वही प्रशिक्षु अब भी 8-10 महीनों के बाद भी अब तक प्रशिक्षण ले रहे हैं।


प्रबंधन के द्वारा इस प्रकार फर्जीवाड़े करने से राष्ट्रीय स्तर पर, शासन, प्रशासन, मीडिया जगत में, आम जनमानस के मानसपटल प्रबंधन की व्यवस्था को लेकर एक नकारात्मक छवि गढ़ जाती है।


आशा तो यही है कि मानव संसाधन विकास,वित्तीय विष्लेषण,नेतृत्व एवं रणनीतिक विषयों में विशेषज्ञता प्राप्त अपने कार्यक्षेत्र में दक्ष श्री राजेश कुमार प्रबंधन की नकारात्मक बन चुकी छवि को एक सकारात्मक स्वरूप प्रदान करेंगे।

5 star बालको प्रबंधन..? : मालिक अनिल अग्रवाल के साथ प्रदेश सरकार, प्रशासन, पब्लिक से भी कर रहा फ्रॉड..? बॉलीवुड को पछाड़ दिया इस विषय पर.. नकल नहीं कॉपी पेस्ट कहिए…! http://veerchhattisgarh.in/?p=10015
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