कलेक्टर संजीव झा बोले.. सोशल मीडिया का करें सही उपयोग..शहर आपका है..
सरकारी स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई को लेकर अक्सर सप्रश्न उठते रहे हैं। यही कारण है कि अफसर, व्यापारी, मध्यम वर्गीय परिवार के लोग नीजि स्कूलों में पढ़ाना ज्यादा उचित समझते हैं लेकिन सरकारी स्कूलों में नीजि स्कूलों से अच्छी पढ़ाई होती है, इस धारणा को बलवती किया है कोरबा के नवपदस्थ कलेक्टर संजीव झा ने। बलरामपुर और सरगुजा जिले में पदस्थापना के मध्य उन्होंने अपनी बेटी का एडमिशन शासकीय स्कूल में ही कराया। देश के दो सुप्रसिद्ध शिक्षण संस्थानों बी.एच.यू. और जे.एन.यू. में शिक्षा प्राप्त कर अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले कलेक्टर संजीव झा से जिले की जनता को आस बंधी है कि शिक्षा के क्षेत्र में कुछ विशेष कार्य वे अपने कार्यकाल के दौरान कर जाएंगे।
कोरबा प्रेस क्लब के तिलक भवन में प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में नव पदस्थ कोरबा कलेक्टर संजीव झा ने कार्यक्रम में अपनी प्राथमिकताओं को स्पष्ट करते हुए कहा करते हुए कहा कि स्वास्थ्य, शिक्षा और ग्रामीण महिला समूह को आगे लाने पर विशेष रूप से काम किया जाएगा।
“योगः कर्मसु कौशलं” भारतीय प्रशासनिक सेवा के इस ध्येय वाक्य मतलब एक्शन में एक्सीलेंस ही योग है। इस जिम्मेदारी के साथ काम करेंगे और किसी भी कर्मचारी-अधिकारी के कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही होने पर उचित कार्यवाही होगी।कर्म ही उनके लिए पूजा है और अच्छे कार्य के लिए हमेशा अपने अधीनस्थ अफसरों-कर्मियों को प्रेरित करेंगे। समस्या के निराकरण की आस में उनके पास पहुंचे लोगों को निराश नहीं होना पड़े इसके लिए गंभीरता से पहल किए जाएंगे।
एक प्रश्न के उत्तर में नवपदस्थ जिलाधीश संजीव झा ने जवाब देते हुए आगे शिक्षा के क्षेत्र के सवाल पर उन्होंने कहा कोई भी स्कूल अच्छा होता है शिक्षकों से। शिक्षकों की मॉनिटरिंग से ज्यादा उनको मोटिवेशन करने की जरूरत है।
आगे उन्होंने कहा कि यह एक बहुत बड़ा टास है, क्वालिटी एजुकेशन शिक्षा व्यवस्था में एक बहुत बड़ा चैलेंज है स्कूल बनाना आसान है शिक्षकों की नियुक्त करना आसान है लेकिन एक टीचर को इसके लिए मोटिवेशन करना कि जब तक आप स्कूल में हैं तब तक आप पूरे समय अच्छे मन से विद्यादान कीजिए यह कठिन है लेकिन हम लोग उनको मोटिवेशन कर शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने की कोशिश करेंगे, स्वामी आत्मानंद स्कूल शिक्षकों के लिए एक मैसेज है कि आप यहां अच्छी शिक्षा दे सकते हैं तो इन सरकारी स्कूलों में क्यों नहीं दे सकते जरूरत है शिक्षकों को मोटिवेशन करने की ।
भुविस्थापितों की समस्याओं को लेकर उन्होंने कहा कि एसईसीएल कुसमुंडा,गेवरा व दीपका के भूविस्थापितों की समस्याओं को लेकर पहल की जाएगी। जिन भूविस्थापितों की जमीन लेने के बाद कंपनी में रोजगार,मुआवजा व अन्य बुनियादी सुविधाएं नहीं दी गई और जो आंदोलन की राह पर चल पड़े हैं। इनकी समस्याओं को दूर किया जाएगा। वही तीनों एरिया के महाप्रबंधक के साथ बैठक लेंगे। समूह से जुड़े महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को आगे बढ़ाया जाएगा।
कोरबा जिले में प्रदूषण के विषय पर उन्होंने कहा सिगड़ी से ज्यादा प्रदूषण उद्योगों की चिमनियों से होता है। इसके विषय में एनजीटी के कुछ नियम बनाए गए हैं संभवत इसका पालन भी हो रहा होगा जिस पर संबंधित अधिकारियों से बातचीत कर इस विषय को गंभीरता से लिया जाएगा, जिले में सड़कों की हालत पर भी नजर रहेगी ।
शहर आपका है अधिकारी तो आते जाते रहेंगे
कलेक्टर संजीव झा ने आज एक बड़ी बात कही उन्होंने कहा कि शहर आपका है इसे किस तरीके से सजाना संवारना है, इसे आपसे अच्छा कोई नही जान सकता क्योंकि अधिकारी तो आते जाते रहते है और मीडिया के साथी यही रहकर सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार करते रहेंगे।
सोशल मीडिया के संबंध में उन्होंने कहा कि सूचना संचार क्रांति के कारण वर्तमान में हमें जानकारी तत्परता से मिल रही है। इसका असर जनमानस के साथ प्रशासन पर भी हुआ है और यह जरूरी भी है। मीडिया प्रजातंत्र का चौथा स्तंभ हैं। प्रशासनिक खामियो की जानकारी इससे मिलते रहती है।
उन्होंने आगे कहा की कोरबा आने के बाद मैने महसूस किया कि यह मिनी हिंदुस्तान है। सूचना तंत्र का सकारात्मक उपयोग ही शहर के लिए बेहतर होगा। उन्होने कहा कि वर्तमान में सोशल मीडिया का दुरुपयोग भी हो रहा है। किसी दूसरे जगह की तस्वीर लगाकर भ्रामक समाचारों को फैलाया जाता है, इससे लोगों को बचना होगा। उन्होंने कहा कि शासन के कार्यो को जन-जन तक पहुंचाना मेरी पहली प्राथमिकता है। उन्होंने चर्चा के दौरान कहा कि जिले के विकास की गति को के संबंध में कहा कि शासन की योजनाओं के शतप्रतिशत क्रियान्वयन पर फोकस रहेगा और साथ ही शासन की फ्लैगशिप योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाकर जिलेवासियों को लाभान्वित करने पर जोर रहेगा। उन्होनें कहा कि गौठानों को आजीविका गतिविधियों का केन्द्र बनाकर ग्रामीणों को स्वरोजगार से जोडने के कार्यो को भी लगातार संचालित किया जाएगा।
क्वालिटी एजुकेशन बड़ी चुनौती
स्कूल बनाना और उसमें शिक्षकों की नियुक्ति करना आसान है लेकिन उसमें क्वालिटी एजुकेशन आसान नही है। आज के दौर में शिक्षकों को मोटिवेट करने की जरूरत है। हमारे सरकारी स्कूल के टीचरों में भी वो क्षमता है जो एक कान्वेंट स्कूलों के अध्यापकों में है। जरूरत उनकी क्षमताओं को निखारने की है। आने वाले दिनों में गुणवत्ता युक्त शिक्षा के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम कराया जाएगा। जिससे सरकारी स्कूलों में बेहतर पढ़ाई के लिए शिक्षकों को मोटिवेट किया जा सके।
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