प्रवीण मकवाणा : व्याकरण.. बधाई या शुभकामनाएं ?

आज तक मेरी समझ में नहीं आया कि कोई किसी को जन्मदिन उपलक्ष्य में बधाई कैसे दे सकता है ?

जब कोई अपनी व्यक्तिगत प्रतिभा और श्रम से कुछ अर्जित करता है, तब बधाई दी जाती है। बधाई देने के लिए किसी उपलब्धि का होना आवश्यक है।

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किसी को लगता है कि जीवन सचमुच ही संकट है और एक साल सफलतापूर्वक पार करना एक उपलब्धि है, तो निश्चित ही जन्मदिन पर बधाई दीजिए। मुझे लगता है कि जीवन और मरण हमारे हाथ में नहीं।

इसलिए जन्मदिन पर शुभकामनाएं व्यक्त की जाएं, तो उचित है।

एक मित्र ने तो हद कर दी। कोई कलेक्टर साहब एक जिले से स्थानांतरित होकर दूसरे जिले में आए, उसने उन्हें बधाई दे दी। अरे भाई, स्थानांतरण एक प्रक्रिया है। कलेक्टर साहब दूसरे जिले में भी कलेक्टर हैं। उनकी पदोन्नति नहीं हुई है।

एक और बात … कोई व्यक्ति पदभार ग्रहण करता है, तो किस बात की बधाई ? आप उसे चयन होने पर बधाई दे चुके हैं। वह व्यक्ति उसी पद को ग्रहण कर रहा है। इसलिए, वह उस काम को निर्विघ्न कर पाए, इस निमित्त शुभकामनाएं दीजिए, बधाई नहीं।

मैंने कुछ लोगों को लिखते देखा है – अग्रिम शुभकामनाएं। यह सरासर अशुद्ध है। बधाई अग्रिम दी जा सकती है, शुभकामनाएं नहीं।
जैसे – किसी का कल मैच है और आपको पूरा विश्वास है कि वह जीतेगा। यदि आप उसे आज बधाई दे रहे हैं, तो कहेंगे/लिखेंगे – अग्रिम बधाई। क्योंकि जीतना उपलब्धि है, इस हेतु बधाई दी जाती है। वह कल जीतेगा, इसलिए आज दी गई बधाई अग्रिम ( एडवांस ) हुई।

लेकिन शुभकामनाएं, अर्थात् भली कामनाएं, अर्थात् best wishes, वो तो किसी भी समय दी जा सकतीं हैं। आप कोई काम साल भर बाद शुरू करें, मैं उसके लिए भी आज शुभकामनाएं दे सकता हूं।

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