चंद्रमोहन अग्रवाल : मोदी जी अडानी और अंबानी के नौकर हैं..जी हां हैं ! ..चावल के एक्सपोर्ट पर 20 परसेंट एडिशनल ड्यूटी
मोदी जी अडानी और अंबानी के नौकर हैं..जी हां है!
तो फिर!
मोदी जी चीन की कंपनियों के नौकर नहीं है, मोदी जी अमेरिकन कंपनियों के नौकर नहीं है, मोदी जी जर्मन कंपनियों के नौकर नहीं है, मोदी जी यूरोपियन कंपनियों के नौकर नहीं है मोदी जी सऊदी कंपनियों के नौकर नहीं है क्योंकि यह सब कंपनियां पैसा तो भारत में कमाती है लेकिन उसके प्रॉफिट को अपने देश में ले जाती है और उस पैसे से वापस भारत में टेरर फंडिंग करती है, नफरत के बीज बोती है. जबकि अडानी, अंबानी, रामदेव, टाटा जैसी कंपनियां भारत से पैसा कमाती है और भारत में ही नई नई कंपनियां लगाती है. जिसमें भारतीयों को ही काम मिलता है और फिर दोबारा मुनाफा कमाती है और फिर तिबारा यहीं पर कंपनियां लगाती है जिनमें फिर भारतीयों को काम मिलता है. ऐसा तो नहीं कि अमेरिका की तरह टाटा, अंबानी, अडानी अपना प्रॉफिट अमेरिका में ले जाए और फिर उस पैसे को हमारे दुश्मन पाकिस्तान को टेरर फंडिंग के लिए दान में दे दे.
आप ही बताओ अगर मोदी जी अंबानी अदानी टाटा जैसे दिग्गजों के नौकर बन भी गए तो इसमें विपक्ष को क्यों जलन हो रही है. जिन जिन चिढ़ है तो वह अपने आप समझ ले कि या तो वह गद्दार है और या फिर नासमझ. असलियत का आंकलन आप स्वयं करें.
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भारत के द्वारा चावल के एक्सपोर्ट पर 20 परसेंट एडिशनल ड्यूटी लगा दी गई है और साथ ही टूटे हुए चावल के एक्सपोर्ट पर लगा दिया पूरी तरह बैन.
भारत के इस कदम से सऊदी अरब और यूएई बहुत परेशान है.
जब ये तेल के दाम बढ़ाते हुए $50 प्रति बैरल वाला तेल $130 प्रति बैरल कर देते हैं तब जो पूरी दुनिया परेशान होती है कभी उनके बारे में सोचा है?
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कार्बन फाइबर मेटेरियल!
75000 करोड रुपए का निवेश!
मुकेश अंबानी ने भारत में सेट किया दुनिया का सबसे बड़ा कार्बन फाइबर मटेरियल बनाने का कारखाना.
स्टील से यह मटेरियल 10 गुना सस्ता और हल्का होगा और पर होगा उससे ज्यादा मजबूत.
जबकि दुनिया में इस मटेरियल को बनाया भी जा रहा है और बनाने के लिए अभी भी रिसर्च चल रही है, भारत ने इसे बनाने का दुनिया का सबसे बड़ा कारखाना तक लगा दिया है.
मुकेश अंबानी जी की मानें तो 2025 तक यह मटेरियल बनकर भारत के बाजार में अपना जलवा दिखाने के लिए उपलब्ध होगा.
दूसरी बात यह लोग भारत में से पैसा कमा कर भारत में ही लगाए जा रहे हैं नई-नई फैक्ट्रियां खोल रहे हैं और वहां पर नए नए रोजगार पैदा हो रहे हैं और फिर पैसा कमा कर और नहीं फैक्ट्रियां खोल रहे हैं.
इस तरह भारत की जीडीपी में सहयोग कर रहे हैं जबकि चीन से अन्य देशों से आकर भारत में माल बनाने वाली कंपनियां पैसे तो भारत में लगाती है लेकिन सहारा प्रॉफिट अपने देश ले जाती है. जिससे भारत के पैसे से विकास उन देशों का होता है जहां से यह कंपनियां भारत में आकर पैसा लगाती है.


