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यस्य॑ सं॒स्थे न वृ॒ण्वते॒ हरी॑ स॒मत्सु॒ शत्र॑वः। तस्मा॒ इन्द्रा॑य गायत॥ – ऋग्वेद (1.5.4)

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पदार्थ –

हे मनुष्यो ! तुम लोग (यस्य) जिस परमेश्वर वा सूर्य्य के (हरी) पदार्थों को प्राप्त करानेवाले बल और पराक्रम तथा प्रकाश और आकर्षण (संस्थे) इस संसार में वर्त्तमान हैं, जिनके सहाय से (समत्सु) युद्धों में (शत्रवः) वैरी लोग (न वृण्वते) अच्छी प्रकार बल नहीं कर सकते, (तस्मै) उस (इन्द्राय) परमेश्वर वा सूर्य्यलोक को (गायत) उनके गुणों की प्रशंसा कह और सुन के यथावत् जानलो॥

इस मंत्र को अभी व्याख्या सहित सुनें – https://podcasts.google.com?feed=aHR0cHM6Ly9hbmNob3IuZm0vcy80ZDU2NTgyYy9wb2RjYXN0L3Jzcw%3D%3D&episode=MWQwNDI5MDQtYzg5Yy00YzM2LWEzYzYtYjIwNTdkZTY0Y2Jh

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(भाष्यकार – स्वामी दयानंद सरस्वती जी)

(सविनय आभार: www.vedicscriptures.in)

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वेदों में क्या है ?वैदिक मान्यताएँ  जीव  (36) मरणोपरान्त जीव की गति (भाग-1) http://veerchhattisgarh.in/?p=6291

रामायण, गीता या महाभारत को अपना मूल धर्म ग्रंथ मानने वालों को यही नही पता कि मूल सनातन धर्म ग्रंथ “वेद” हैं, वेद जिनसे गायत्री-महामृत्युंजय मंत्र आएं हैं। 90% घर में वेद नहीं होगा।

श्रीराम-कृष्ण,रावण 4रों वेदों के ज्ञाता थे।वेंदो में इलेक्ट्रॉन, न्यूट्रॉन, प्रोट्रान से लेकर प्रकृति के समस्त गुणों का उल्लेख है।

जैसे किसी पुस्तक को पढ़ने में रूचि जगाने के लिए उस पुस्तक की भूमिका, प्रस्तावना सहायक होते हैं वैसे ही वेदों को पढ़ने के लिए पहले उपनिषदों, ब्राम्हणग्रंथो को समझना पड़ता है।

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